What is Rom in Hindi Types Of ROM in Hindi.pptx
Spread the love

What Is Rom In Hindi ? Types Of ROM In Hindi

Hello दोस्तों आज के इस Artical मे हम ROM के बारे मे जानेंगे की What is Rom in Hindi? Types Of ROM in Hindi। ROM के बारे मे और भी बहुत सारे Topic को Cover करने वाले है ? तो दोस्तों अगर आप ROM के बारे मे जानना चाहते है तो इस Artical को पूरा जरूर पड़े।



ROM क्या है? What Is Rom In Hindi

ROM का मतलब Read-Only Memory होता है और यह नॉन वोलेटाइल मेमोरी होते है. इसका उपयोग जरुरी इनफार्मेशन या डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है और इस डेटा का यूज़ सिस्टम को चलाने के लिए किया जाता है. Read-Only Memory के नाम से आप समझ सकते है की यह केवल स्टोर किये हुए डाटा और प्रोग्राम को ही पढ़ता है. इसे कंप्यूटर सिस्टम का प्राइमरी यूनिट भी कहा जाता है , इसमें कुछ ऐसे इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज होते जो स्पेसिफिक जानकारी के लिए प्रोग्राम किये जाते है.

Read More :- What Is RAM In Hindi | Types Of RAM In Hindi

ROM की परिभाषा – Definition Of ROM In Hindi

ROM कंप्यूटर की Permanent Memory होती है जिसमें डाटा को पहले से ही निर्माता कंपनी के द्वारा जोड़ दिया जाता है और इसके बाद इसमें कोई अन्य डाटा को नहीं जोड़ा जा सकता है. यह System को On होने में मदद करता है.

ROM की विशेषताएं – ROM Features In Hindi

चलिए अब ROM की कुछ विशेषता के बारे में जानते हैं – 

  • ROM कंप्यूटर की स्थाई Memory होती है.
  • यह Primary Memory का ही एक भाग होता है.
  • ROM को केवल Read किया जा सकता है.
  • ROM में Data पहले से ही फिक्स रहता है, इसमें कुछ नया Data को नहीं जोड़ा जा सकता है.
  • ROM में कंप्यूटर की सभी Basic Functionality के निर्देश को स्टोर किया जाता है.
  • यह CPU Memory का भाग होती है.
  • RAM की तुलना में ROM सस्ती होती है.
  • यह एक Non – Volatile Memory होती है जो Power Supply Off हो जाने के बाद भी Computer में सुरक्षित बनी रहती है.
  • ROM कम Power इस्तेमाल करती है यह एक भरोसेमंद Memory होती है.




History Of ROM In Hindi | रोम का इतिहास

Solid-state ROM का सबसे सरल प्रकार का मेमोरी उतना ही पुराना है जितना कि semiconductor तकनीक। Read-only memory का इतिहास दिखाता है कि इस प्रकार की static memory ने पारंपरिक कंप्यूटर के जीवन चक्र पर इंजीनियरिंग में कैसे काम किया है। 1948 में Mauchly और ENIAC कंप्यूटर जैसी मशीनों द्वारा Read-only memory का बीड़ा उठाया गया था, और फिर 1960 के दशक में Integrated circuits में अवतरित हुआ।

पहले के पर्सनल कंप्यूटरों में, read-only memory को लागू करने के लिए BASIC इंटरप्रेटर जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता था। IBM-संगत कंप्यूटरों में BIOS ROM का उपयोग भी आम हो गया था। IBM ने छोटे सिस्टम/360 मॉडल, 360/85 और शुरुआती दो सिस्टम/370 मॉडल (370/155 और 370/165) के लिए माइक्रोकोड स्टोर करने के लिए capacitor read-only storage (CROS) और transformer read-only storage (TROS) का उपयोग किया।

Read More :- Zip File क्या है? और इसके फायदे?

समय के साथ, मेमोरी डिजाइनर read-only memory (ROM) के अधिक लचीले रूपों के साथ प्रयोग करना शुरू करने लगे जैसे कि 1971 में electrically erasable programmable ROM (EEPROM) का विकास हुआ । बाद में, Toshiba ने NAND flash नाम की मेमोरी को पेश की, जिसका उद्देश्य हार्ड ड्राइव read-only memory (ROM) संसाधनों दोनों के लिए था।

आखिरकार, flash ROM नाम की नयी मेमोरी सामने आई। flash ROM अन्य पुराने प्रकार की read-only memory की तुलना में अधिक परिवर्तनशील है, और अधिक बहुमुखी उपयोग को समायोजित करता है। यह अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स उपकरणों की एक श्रृंखला में इसे बनाया गया है।

रोम के प्रकार – Types Of ROM In Hindi

इस लेख में कुछ सब्द हैं जैसे Data, Instruction, Program सबका मतलब एक ही है Confuse मत होना और एक Term “Programmed” है इसका मतलब यह है की ये बोहत सारे Command होते हैं जो की एक Task करते है, जैसे एक Software करता है. वैसे ही यहाँ पे Computer On करने का काम एक Software program करता है, जिसका नाम है Firmware जो की ROM में रहता है. वैसे तो ROM 4 Types के हैं जो की निचे दिए गए हैं और उनकी जानकारी भी है.

  1. MROM (Masked Read Only Memory)
  2. PROM (Programmable Read-Only Memory)
  3. EPROM (Erasable and Programmable Read-Only Memory)
  4. EEPROM (Electrically Erasable and Programmable Read-Only Memory)



1.Masked Read Only Memory

ये सबसे पहला वाला ROM है, ये आज कल की दुनिया में इसका इस्तेमाल बिलकुल ही नहीं होता. ये Read Only Memory Hard Wired Devices है. जिसमे पहले से Pre-Programmed Data और Instruction Store किया ज्याता था. इस तरह के Memory काफी महंगे हुआ करते थे. उस ज़माने में, अभी MROM कंही भी नहीं मिलेगा.

2.Programmable Read Only Memory

ये एक ऐसा Read Only Memory है जिसको हम बस एक बार ही बदल सकते हैं. यहाँ पे बदलना मतलब PROM में कुछ नया Program डालना और  एक इसको update भी बोला ज्याता है. एक बार Update करने के बाद कोई भी इसको दोबारा Update नहीं कर सकता. User Blank PROM खरीद ता है और उसके बाद उसमे जो Instruction डालना चाहता है वो दाल सकता है (Instruction मतलब कुछ command होते है जो कुछ काम करते हैं).

इस Memory में छोटे छोटे fuse होते हैं, जिनके अंदर programming के जरिये Instruction डाला ज्याता है. इसको एक बार programmed करने के बाद दोबारा Erase नहीं कर सकते.

3.Erasable and Programmable Read Only Memory

इस ROM का और एक Type है, इसकी खासियत यह है की इसको हम Erase भी कर सकते हैं और फिर से programmed भी कर सकते हैं. इस memory को erase करने का तरीका काफी अलग है जिसमे आपको इस Memory को 40 Minute तक Ultra Violet Light से pass किया जाता  है तब जाके ये Memory खाली होती है. थोडा और विस्तार में जानते हैं इस काम को हासिल करने के लिए “EPROM Eraser” का भी इस्तेमाल होता है.

Programming करते वक्त, (Programming करने का मतलब वही है Update करना या फिर कुछ नया Program डालना) इसके अंदर Charge को डाला ज्याता है, जो की करीबन 10 सालो से भी जादा तक रखा जाता है क्यूंकि Charge को बहार निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं होता इसलिए वो उस Memory के अंदर रह जाता  है.

तो इसी Charge (instruction) को Erase करने के लिए Ultra Violet Light को Quartz Crystal Window (lid) के जरिये Pass किया ज्याता है. इस Light के प्रभाव से ही सब Charge Erase हो ज्याता है. ये थी कुछ जानकारी Erasable and Programmable ROM के बारे में.

4.Electrically Erasable and Programmable Read Only Memory

Technology के बदलाव से Read Only Memory को भी बार बार बदलने की जरुरत पड़ी, इसी वजह से इस Memory का इस्तेमाल हुआ. इसकी खासियत यह है की इसको हम 10 हजार बार Erase कर सकते हैं और Programmed कर सकते हो और बस 4 से 10 Millisecond के अंदर हम इसको Erase और Programmed भी कर सकते हैं.

हम इसमें Memory के कोई भी Location को Select कर सकते हैं और उसी को हम Erase और Programmed कर सकते हैं. हम को पुरे Chip को खाली करने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती. इस Advantage की वजह से ये EEPROM आसन है पर धीरे है.

रोम कैसे काम करता है – How ROM Works In Hindi 

रोम के कार्य करने का तरीका यह है की जब भी हम कंप्यूटर को On करते हैं तो कंप्यूटर को पता नहीं होता है कि उसके साथ में CPU, Mouse, Keyboard आदि हार्डवेयर भी Attached हैं. इन सभी को BIOS (Basic Input Output System) कहा जाता है. ROM चिप के आकार की होती है यह BIOS Computer को Operating System से Connect करती है और कंप्यूटर के On होने में मदद करती है.

ROM के उपयोग | Uses Of ROM In Hindi

कम्प्यूटर निर्माण के समय में ही, ROM में कुछ माइक्रो (छोटे) प्रोग्राम्स जैसे – POST (Power on self test), BIOS (Basic Input Output System) आदि स्थायी तौर पर संग्रहित कर दिये जाते हैं। जो कि कम्प्यूटर के on होने पर, उसकी सभी Input devices एवं Output devices को test और नियंत्रित करते हैं, साथ ही कम्प्यूटर की बूटिंग प्रोसेस को भी मैनेज व नियंत्रित करते हैं।



और आवश्यकता होने पर, यूजर को समय-समय पर निर्देश भी देते रहते हैं। अर्थात कम्प्यूटर को बूट करने से सम्बन्धित, समस्त निर्देश ROM में ही संग्रहित रहते हैं। जो कि computer के बूट (चालू) होने तथा operating system (OS) को RAM में लोड करने की प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं। रोम एक I.C. chip (Integrated circuit chip) के रूप में होती है।

आज हम ने सीखा

तो दोस्तों मेने आपको इस artical मे मेने What Is Rom In Hindi? Types Of ROM In Hindi के बारे मे बताया है।अगर आपको ये artical अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें |

What Is Rom In Hindi? Types Of ROM In Hindi “

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *