
What Is Operating System | Operating System क्या है? परिभाषा, प्रकार, कार्य, विशेषताएं :- नमस्कार दोस्तों आज techysir के इस Artical मे हम आपको बताने वाले है की , ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? (what is operating System In Hindi?), यह कैसे काम करता है, इसकी क्या-क्या विशेषताएँ होती है, ऑपरेटिंग सिस्टम कितने प्रकार के होते है (Types of operating System In Hindi)
Contents
- 1 Operating System क्या है? | What Is Operating System
- 2 Operating System Meaning In Hindi
- 3 Operating System के कार्य
- 4 Operating System का इतिहास | History Of Operating System
- 5 Operating System के प्रकार | Types Of Operating System In Hindi
- 6 Advantages Of Operating System In Hindi
- 7 Disadvantage Of Operating System In Hindi
- 8 आज हम ने सीखा
Operating System क्या है? | What Is Operating System
Operating System (OS) एक प्रकार का Software है, जो Computer Hardware Components and Users के बिच में एक Interface के रूप में कार्य करता है। अगर हम ऑपरेटिंग सिस्टम को आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब है, की यह कंप्यूटर के अंदर लगे सभी हार्डवेयर के साथ कनेक्ट होता है।
यह पुरे कंप्यूटर का सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है, जिसे “OS” के नाम से भी जाना जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बिच में एक Interface की तरह कार्य करता है। अगर हम इसे एक उदहारण से समझे तो इसका मतलब है, की जब भी हम अपने कंप्यूटर में कोई फाइल खोलते है. तो उसके लिए हमें कंप्यूटर में किसी फाइल पर माउस के बटन को क्लिक करना होता है,
उसके बाद ही वह फाइल खुलती है। इसके अलावा अगर हमें Computer में कुछ टाइप करना है, तो ऐसे में हम Keyboard का बटन दबाकर टाइप करते है, जिसके बाद कंप्यूटर की स्क्रीन पर हमें शब्द दिखते, तो यह सभी चीजे ऑपरेटिंग सिस्टम की ममद से होती है। जिसका सीधा सा अर्थ है, की यूजर कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ मिलकर ही कार्य कर पाता है। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर में कुछ भी नहीं किया जा सकता है।
Operating System Meaning In Hindi
ऑपरेटिंग सिस्टम को आसान भाषा में समझने के लिए आपको इसका Meaning या मतलब समझना चाहिए। जब भी हम एक नया कंप्यूटर लेते है, तो उसके अंदर हमें एक Windows देखने को मिलती है, जिसमे Window 7 8 या 10 कोई भी हो सकती है। यह Windows एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम होता है।
उसी तरह से अगर हम Apple के लैपटॉप की बात करें, तो उसके अंदर Mac OS होता है। बिना Operating System के हमारा कंप्यूटर या Laptop चालू नहीं हो सकता है। Operating System आपके द्वारा टाइप किये गए शब्दों को Screen पर दिखता है। इसके अलावा इसका कार्य होता है, किसी भी Data को Process करके उसके Output को दिखाना।
आपके कंप्यूटर में जितने भी Application और Programe होते है, सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के अंदर होते है। अगर किसी वजह से आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में कुछ खराबी आती है, तो आपकी कोई भी Application कार्य नहीं कर पाती है। जिस तरह से कंप्यूटर में OS होता है, उसी तरह से Mobile में भी Operation System होता है, मोबाइल के OS को Android कहते है।
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Operating System के कार्य
अब सवाल यह है कि ऑपरेटिंग सिस्टम करता क्या है? इसके मुख्य कार्य कौन-कौनसे हैं? तो ऑपरेटिंग सिस्टम असल में कई सारे काम करता है। यहाँ तक कि पूरे Computer को चलाता है। लेकिन फिर भी इसके कुछ मुख्य Functions हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं। पेश हैं Main Functions Of Operating System :-
#1 Memory Management
एक Computer में दो तरह की मैमोरी होती है। एक Primary Memory और दूसरी Secondary Memory. प्राइमरी मैमोरी में RAM (Random Access Memory) और ROM (Read Only Memory) शामिल होती है। वहीं सैकंडरी मैमोरी में Hard Disk, CD, DVD और दूसरी चीजें आती हैं। जब आप अपने कम्प्यूटर में कोई Software (जैसे कि Photoshop, MS Office आदि) ओपन करते हैं। तो उसे Memory की जरूरत पड़ती है।
लेकिन जब आप Multiple Programs रन करते हैं। तो हर प्रोग्राम को अलग से मैमोरी की जरूरत पड़ती है। ऐसे में किस प्रोग्राम को कितनी RAM देनी है और कितनी ROM? यह Operating System ही Decide करता है। साथ ही नये शुरु होने वाले प्रोग्राम्स को Memory Allocate करना और बंद होने वाले प्रोग्राम्स से Memory वापिस लेना भी ऑपरेटिंग सिस्टम का ही काम है।
अगर आसान भाषा में कहें तो ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्प्यूटर में चलने वाले तमाम Programs को Memory Distribute करता है। और उसका लेखा-जोखा रखता है। यानि प्रत्येक प्रोग्राम को Track करता है। और पता लगाता है कि कौनसा प्रोग्राम कहाँ क्या कर रहा है? और कितनी मैमोरी यूज कर रहा है?
#2 CPU Management
कम्प्यूटर में चलने वाले प्रत्येक प्रोग्राम को CPU (Processor) Power की जरूरत पड़ती है। और इसके लिए वह पूरी तरह Operating System पर निर्भर होता है। क्योंकि CPU Management का काम ऑपरेटिंग सिस्टम ही देखता है। इसीलिए किस Process या Task को Processor देना है? और कितनी देर के लिए देना है? यह ऑपरेटिंग सिस्टम ही Decide करता है। किसी Specific Task को Processor Allocate करना Processor Scheduling कहा जाता है?
इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम, CPU की हर गतिविधि को Track करता है। और उसका रिकॉर्ड रखता है। यानि कि सीपीयू कहाँ और किस काम में इस्तेमाल हो रहा है? कौन-कौनसे Tasks Perform कर रहा है? कौन-कौनसे टास्क पूरे हो चुके हैं? और कौन-कौनसे टास्क चल रहे है? इसका कंपलीट लेखा-जोखा रखता है। और Traffic Controller की मदद से CPU के Status से अवगत करवाता रहता है।
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#3 File Management
एक कम्प्यूटर में अनगिनत Files होती हैं। इसीलिए किसी Particular File को ढूँढना नाकों चने चबाने जैसा होता है। यानि कि बहुत ही मुश्किल काम। लेकिन इस मुश्किल काम को आसान बनाता है ऑपरेटिंग सिस्टम। कैसे? दरअसल ऑपरेटिंग सिस्टम Files को अगल-अलग Folders और Directories के रूप में व्यवस्थित रखता है। और प्रत्येक फाईल का रिकॉर्ड रखता है। जैसे कि Name, Size, Format, Location आदि।
#4 Device Management
आमतौर पर एक Computer को कई सारे Devices के साथ काम करना पड़ता है। जैसे कि Keyboard, Mouse, Printer, Mic, Speaker, WebCam, Storage Devices, Wireless Devices, Monitors आदि। लेकिन इन सारे Devices को कम्प्यूटर के साथ Communicate करने के लिए Coordinaton की जरूरत होती है।
क्योंकि बिना कोऑर्डिनेशन के कोई भी डिवाइस ठीक से काम नहीं कर सकता। इसीलिए ऑपरेटिंग सिस्टम की जरूरत पड़ती है। क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम, हर Devices को कम्प्यूटर के साथ Communicate करने में मदद करता है। और उसे तमाम जरूरी संसाधन मुहैया करवाता है।
साथ ही कम्प्यूटर से Connected सभी Devices को Manage करता है। और उनमें Resources का बंटवारा करता है। अगर आपके कम्प्यूटर में OS नहीं होगा, तो वह किसी भी Device को सपोर्ट नहीं करेगा।
#5 Play Mediator’s Role
ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्प्यूटर और यूजर के बीच Mediator की भूमिका निभाता है। यानि कि यूजर की बात कम्प्यूटर को समझाता है। और कम्प्यूटर की बात यूजर को। इस तरह दोनों के बीच संवाद स्थापित करने में मदद करता है। हालांकि इसके बारे में उपर बात कर चुके हैं। इसीलिए ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
#6 Improve Performance
ऑपरेटिंग सिस्टम, कम्प्यूटर की Performance पर लगातार नजर रखता है। और उसे Improve करने की कोशिश करता रहता है। इसके लिए वह प्रत्येक Service Request और उसके Response में लगने वाले Time को रिकॉर्ड करता है। और System Health को Monitor करता है। अगर System Response Time स्लो होता है या फिर System में कोई गड़बड़ी पाई जाती है। तो ओएस उसके बारे में तुरन्त सूचित कर देता है।
#7 Secure The System
हर यूजर अपने कम्प्यूटर में अपना बहुत सारा Personal Data Store करके रखता है। और कोई भी यह नहीं चाहता कि उसके कम्प्यूटर से Data चोरी हो जाए। या उसका Computer Hack हो जाए। क्योंकि डाटा की कीमत सबको पता है। इसीलिए हर यूजर अपने Data की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करता है।
लेकिन आपको बताना चाहूँगा कि Operating System भी इसमें आपकी पूरी मदद करता है। यानि कि आपके System को Secure रखने के लिए कई सुरक्षा फीचर्स मुहैया करवाता है। जैसे कि Password Protection और Firewall को ही ले लीजिए। इनकी मदद से आप अपने Computer में Unauthorized Users को प्रवेश करने से रोक सकते हैं।
#8 Job Accounting
ऑपरेटिंग सिस्टम, हर User और हर Task का रिकॉर्ड रखता है। जैसे कि किस यूजर ने कब लॉगिन किया? कब, कौनसा Task Perform किया? कौन-कौनसे Programs को यूज किया? और किस प्रोग्राम को कितनी देर यूज किया? इसी तरह प्रत्येक यूजर की प्रत्येक एक्टिविटी का सिलसिलेवार ब्यौरा इकट्ठा करता है। और यह डाटा Resources और Users को Track करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
#9 Error Detection
जब आपके Computer में कोई दिक्कत आती है तो Operating System आपको बता देता है। साथ ही उसे Fix करने का विकल्प और तरीका भी बता देता है। यहाँ तक कि आपको Guide करके उस Problem को Fix भी कर देता है। जिसे Troubleshooting कहा जाता है। यह आपको हर ऑपरेटिंग सिस्टम में देखने मिल जाता है।
#10 Graphical User Interface
अगर आप कम्प्यूटर के बारे में ठीक-ठाक जानकारी रखते हैं। तो आपको CLI (Command Line Interface) और GUI (Graphical User Interface) के बारे में जरूर पता होगा। ये दरअसल दो अलग-अलग यूजर इंटरफेस हैं। जो कम्प्यूटर को Operate करने के लिए इस्तेमाल होते हैं। पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम्स Command-Line Interface के साथ आते थे।
इसीलिए उन्हें इस्तेमाल करना काफी मुश्किल होता था। क्योंकि हर कमांड के लिए अलग-अलग Codes लिखने पड़ते थे।लेकिन आज के दिन करीब-करीब ऑपरेटिंग सिस्टम्स Graphical User Interface के साथ आते हैं। जिनमें Menus, Bars, Icons और Buttons का प्रयोग होता है। इसीलिए कमांड देने के लिए सिर्फ Mouse से Click करना पड़ता है। यानि कि हर कमांड के लिए अलग-अलग Codes नहीं लिखने पड़ते।
हालांकि Linux OS में अभी भी Command Prompt इस्तेमाल होता है। जिसे Terminal, Shell और Console जैसे नामों से जाना जाता है। लेकिन इसके साथ GUI भी मिलता है। यानि कि यह CLI और GUI का मिश्रण है। ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य कम्प्यूटर के इस्तेमाल को आसान बनाना है। और इसके लिए Graphical User Interface सबसे बेस्ट है। क्योंकि इसकी मदद से कोई भी Computer Use कर सकता है। इसके लिए Command Codes की किताब लेकर नहीं बैठना पड़ता।
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Operating System का इतिहास | History Of Operating System
Operating System (OS) की इतिहास के बारे में जाने तो, शुरुवाती दौर में कंप्यूटरों में Operating System (OS) नहीं हुआ करते थे, एक कंप्यूटर को चलने के लिए मशीन लैंग्वेज कोड (Code) की जरुरत होती थी वह सारे Code आपको याद रखना पड़ता था जिस से कंप्यूटर में कनेक्टेड सारे हार्डवेयर के साथ आप कम्यूनिकेट कर सके। Code से काम करने में सरल काम भी बहोत जटिल होजाता था।
प्रारंभिक कंप्यूटर एक कैलकुलेटर की तरह सिंगल कामों की एक श्रृंखला को करने के लिए बनाए गए थे। बुनियादी ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ सुविधाओं को 1950 के दशक में विकसित किया गया था। आज के दौर को देखिये माउस के एक क्लिक में Operating System (OS) कमांड ले लेता है। शुरुआती कंप्यूटर मेनफ्रेम थे जिनमें किसी भी प्रकार के Operating System (OS) की कमी थी। प्रत्येक उपयोगकर्ता के पास एक निर्धारित अवधि के लिए मशीन का सिर्फ एकमात्र उपयोग होता था और अक्सर यह Punched paper cards और Magnetic या Paper tape पर वह कंप्यूटर पर प्रोग्राम और डेटा के साथ आता था।
इस प्रोग्राम को मशीन में लोड किया जाता था, और प्रोग्राम के पूरा होने या क्रैश होने तक मशीन को काम करने के लिए इसे सेट किया जाता था। प्रोग्राम को आम तौर पर डायल, टॉगल स्विच और पैनल लाइट का उपयोग करके नियंत्रण कक्ष के माध्यम से डिबग किया जाता था । सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम General Motors ने 1956 में सिंगल IBM central computer.चलाने के लिए बनाया था।
1960 के दशक में, IBM Operating systems (OS) विकसित करने का काम करने वाला पहला कंप्यूटर निर्माता था और अपने कंप्यूटरों में शामिल Operating systems (OS) को वितरित करना शुरू किया। 1960 के दशक के अंत में, Unix operating system (OS) का पहला संस्करण विकसित किया गया था। इस Operating system (OS) को प्रोग्रामिंग भाषा “C” में लिखा गया है, और अपने शुरुआती वर्षों के दौरान यह मुफ्त में उपलब्ध हुआ था । Unix आसानी से नई प्रणालियों के अनुकूल हो गया और जल्दी से व्यापक रूप से Operating system (OS) का मानक को स्वीकृति प्राप्त कर ली।
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज को ऑपरेटिंग सिस्टम के पर्सनल कंप्यूटर या पीसी की श्रेणी को चलाने के लिए IBM के एक अनुरोध के जवाब में विकसित किया गया था। माइक्रोसॉफ्ट द्वारा बनाए गए पहले Operating system (OS) को विंडोज नहीं कहा जाता था, इसे MS -DOS कहा जाता था और इसे 1981 में तैयार किआ गया था। Windows नाम का पहली बार उपयोग 1985 में किया गया था जब एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) बनाया गया था और MS -DOS के साथ जोड़ा गया था। कई आधुनिक आज के ऑपरेटिंग सिस्टम, जिनमें Apple OS X, Android और Linux के सभी विभिन्न संस्करण शामिल हैं, पुराने हैं या नए यह सारे Unix OS पर निर्भर हैं।
Operating System के प्रकार | Types Of Operating System In Hindi
Operating System हमेशा से ही कम्प्यूटर के साथ रहे है. जैसे-जैसे कम्प्यूटर ने विकास किया वैसे ही Operating System भी अपने आप को विकसित करते गए. Operating System को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है. लेकिन, हम यहाँ Operating System के कुछ प्रमुख प्रकारों को जानेंगे.
#1 Multi-user Operating System
यह Operating System एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस Operating System पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है.
#2 Single-user Operating System
इसके विपरीत Single-user Operating System एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस Operating System पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है.
#3 Multitasking Operating System
यह Operating System उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस Operating System पर आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है.
#4 Multi Processing Operating System
यह Operating System एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है.
#5 Multi Threading Operating System
यह Operating System एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है.
#6 Real Time Operating System
Real Time Operating System उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए Input पर तुरंत प्रक्रिया करता है. Windows Operating System इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. Operating System कम्प्यूटर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है. इसके बिना कम्प्यूटर एक निर्जीव वस्तु मात्र है, यह कहना गलत नही है. Operating System के बिना कम्प्यूटर को उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है. Operating System और कम्प्यूटर के संबंधो को समझने के लिए ऊपर दिए गए आरेख को समझ सकते है.
Advantages Of Operating System In Hindi
- इसे आसानी से use किया जा सकता है क्योंकि इसका ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस होता है. और नए users इसके द्वारा कंप्यूटर को आसानी से चला सकते है.
- इसके द्वारा हम एक data को बहुत सारें users के साथ share कर सकते है.
- इसके द्वारा हम resources को share कर सकते है जैसे:- प्रिंटर.
- इन्हें आसानी से update किया जा सकता है.
- यह सुरक्षित (secure) होता है जैसे:- windows में windows defender होता है जो कि किसी भी प्रकार की हानिकारक files को detect कर लेता है और उन्हें remove कर देता है.
- इसके द्वारा हम कोई भी game या सॉफ्टवेर install सकते है और उन्हें चला सकते है.
- कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम (जैसे:- LINUX) open source होते है इन्हें हम free में अपने computer पर run कर सकते है.
Disadvantage Of Operating System In Hindi
-
- कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम Free होते है परन्तु कुछ महंगे होते है
- Windows की कीमत लगभग 5000₹ से 10000₹ तक होती है.
- Linux को चलाना थोडा मुश्किल होता है
- विंडोज की तुलना में ये कभी कभी किसी Hardware को सपोर्ट नहीं करती है,
- Mac OS में Viruses का खतरा ज्यादा रहता है.
आज हम ने सीखा
तो दोस्तों मेने आपको इस artical मे मेने Operating System क्या है? परिभाषा, प्रकार, कार्य, विशेषताएं के बारे मे बताया है।अगर आपको ये artical अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें |
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