
Proprietorship Kya Hai ? Proprietorship कैसे Registration करे?– नमस्कार दोस्तों क्या आप भी Proprietorship , Registration करना चाहते है? अगर आप अपना खुद का business शुरू करना है तो ऐसे में आपको इसके बारे में पूरी जानकारी ज़रूर होनी चाहिए। इस पोस्ट में हमने आप को इसकी पूरी जानकारी दे दी है ताकि आपको कोई नुकशाब न हो और आपका काम भी बहुत आसानी से हो जाएगा दोस्तों पोस्ट को आखिर तक पढ़े। तोदोस्तो पोस्ट को शुरू करते है। की Proprietorship क्या है? Proprietorship कैसे Registration करे?
Contents
- 1 Proprietorship क्या है?
- 2 Proprietorship का क्या मतलब है?
- 3 Udyam रजिस्ट्रेशन कैसे करे?
- 4 प्रोप्राइटर शिप और इसके लिए रजिस्ट्रेशन | Proprietorship meaning and its registration
- 5 भारत में एक निजी कंपनी को रजिस्टर्ड करने के लाभ ?
- 6 कंपनी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें ? – एक विस्तृत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ?
- 7 क्योंकि यह केवल रूपांतरण (conversion) है बिक्री नहीं।
- 8 कंपनी के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज ।
- 9 प्रोप्राइटर शिप का लाभ ? | Proprietorship advantages
- 10 प्रोप्राइटर शिप की कमियां (Proprietorship disadvantages)
- 11 FAQs proprietorship Kya Hai?
- 12 आज आप ने क्या सीखा
Proprietorship क्या है?
आपको तो मालूम है कि अगर कोई भी business start करते है तो उस business का नाम ज़रूर रखना होता है जैसे कि अगर आप एक दुकान खोलते है तो उसके लिए कोई ना कोई नाम ज़रूर रखते होंगे लेकिन वो नाम क़ानूनी मान्य है या नही?
जो भी business कर रहे है वो क़ानून के नज़र में valid है या नही? अगर आप अपने business का रेजिस्ट्रेशन नही करेंगे तो फिर ऐसे में सरकार को कैसे पता चलेगा कि आप क्या काम कर रहे है?
इससे ज़्यादा ज़रूरी तो आपको ये है की जितने भी सरकारी फ़ायदे होते है वो तभी मिल सकता है जब आपके business का रेजिस्ट्रेशन होगा लेकिन सवाल ये आता है कि कैसे होगा? इसका जबाब है proprietorship फर्म के रूप में
अब बात करते है की Proprietorship फर्म क्या है?
Proprietorship , एक तरह का business रेजिस्ट्रेशन का तरीक़ा है जिसके तहत आप अपने राज्य के नियम के अनुसार एक firm का रेजिस्ट्रेशन करते है और सरकार को अपने business के बारे में जानकारी देते है ताकि आप क़ानूनी रूप से business कर सके
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- Firm क्या होता है? Firm कैसे बनाए? Firm रजिस्टर कैसे करें?
- OPC Kya Hai? One Person Company रजिस्टेशन प्रक्रिया |
Proprietorship का क्या मतलब है?
Proprietorship का मतलब ये होता है की जो आप business कर रहे है उसका मालिक आप सिर्फ़ आप ही है और आपको एक person नही बल्कि एक business समझा जाएगा जैसे की जब भी आप टैक्स देंगे तो आपका जो income होगा वो business income होगा दोनो का टैक्स एक ही PAN से भराएगा |
और जो भी फ़ायदा मिलेगा वो आपको मिलेगा और कोई भी दूसरा आदमी जो आपके business में वर्क कर रहा है वो shareholder नही होगा और इसके साथ साथ नुक़सान ये है की अगर कोई भी क़ानूनी करवायी आपके Proprietorship Firm के ख़िलाफ़ होगा तो सिर्फ़ आप ज़िम्मेदार होंगे दूसरा कोई नही होगा इसलिए लोग बाद में PVT LTD कम्पनी ऐक्ट के तहत रेजिस्ट्रेशन कर लेता है |
Proprietorship Firm Registration कैसे करे?
अगर आप अपने business को Proprietorship के तहत रेजिस्ट्रेशन करना चाहते है तो हर राज्य के अनुसार अलग अलग तरीक़ा है लेकिन जब बात आती है की अपने business का रेजिस्ट्रेशन ही करना है तो केंद्र सरकार ने एक नया सिस्टम लाया है जिसके तहत आप राज्य सरकार के बदले सीधे केंद्र सरकार के नियम के अनुसार सिर्फ़ 10 मिनट में ही business का रेजिस्ट्रेशन कर सकते है |
आप MSME का नाम तो ज़रूर सुने होंगे, MSME मतलब Ministry of Micro,Small and Medium Enterprises जिसके तहत सिर्फ़ आधार कार्ड से अपने business का लाइसेन्स ले सकते है |
MSME ने उद्योग आधार जिसे अब उद्यम रेजिस्ट्रेशन के नाम से एक सिंगल विंडो क्लीरन्स वाली सिस्टम बनाया जिसके तहत हर आदमी जिसके पास आधार कार्ड है वो अपने आधार नम्बर के मदद से बिना किसी घुस या फ़ालतू के paperwork के लफड़े में पड़े ही तुरंत अपने business का रेजिस्ट्रेशन कर सकता है
Udyam रजिस्ट्रेशन कैसे करे?
इसके लिए जो ज़रूरी है वो है आपका आधार नम्बर, PAN नम्बर और GSTIN मतलब GST नम्बर और इसके बाद आपने proprietorship firm का रेजिस्ट्रेशन कर सकते है
प्रोप्राइटर शिप और इसके लिए रजिस्ट्रेशन | Proprietorship meaning and its registration
सरकार ने प्रोप्राइटर शिप के लिए सरकारी शुल्क 500 रूपए तथा व्यापारिक शुल्क 2500 रूपए का डेटर्मीनेड किया है. इसके लिए कोई समय सीमा डेटर्मीनेड नहीं है. आमतौर पर आवेदन के 2 से 20 दिनों के मध्य का समय रजिस्ट्रेशन के पूरे होंने में लगता है.
इसके लिए कोई विशेष औपचारिक विधि नहीं तय हुई है. किन्तु व्यापार को कोई मनुष्य VAT/CST, दूकान और निर्माण अधिनियम, सेवा कर, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आदि के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करा सकता है. अपने व्यापार के रजिस्ट्रेशन के लिए निम्न दस्तावेज़ों को तैयार रखना अतिआवश्यक है.
- पैन कार्ड और उसकी प्रतिलिपि
- मालिक के नाम का आवासीय प्रमाण पत्र जैसे पासपोर्ट, वोटर आईडी या किसी तरह का बिल.
- पासपोर्ट साइज़ के फोटोग्राफ्स
- अपने व्यापार के पते का प्रमाण जैसे इलेक्ट्रिसिटी अथवा टेलीफोन बिल
- दूकान और प्रतिष्ठित रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र
- कम से कम छः माह का बैंक अकाउंट स्टेटमेंट
- तात्कालिक अकाउंट डिटेल जैसे VAT, CST आदि
कोई आदमी अपने कंपनी के नाम पर बैंक अकाउंट बना कर भी अपना काम शुरू कर सकता है. किन्तु ऐसे बैंक अकाउंट बनाने के लिए ग्राहक को भारतीय रिजर्व बैंक के किस निति डेटर्मिनेशन तत्वों को मानना पड़ता है. नीचे इसके लिए विशेष दस्तावेज़ों का नाम दिया जा रहा है, जिसमे से कम से कम दो को बैंक में जमा करना ज़रूरी है.
- म्युनिसिपल अथॉरिटी की तरफ से दूकान और इस्टैब्लिशमेंट अधिनियम के तहत कंपनी का पंजीकरण पत्र.
- सेल्स और इनकम टैक्स रिटर्न
- CST/VAT प्रमाण पत्र
- किसी प्रोफेशनल टैक्स संस्था अथवा सेल्स टैक्स की तरफ से पंजीकरण दस्तावेज
- भारत में स्थित किसी CA इंस्टिट्यूट से प्रैक्टिस प्रमाणपत्र.
- लाइसेंस अथवा रजिस्ट्रेशन पत्र जिसे कंपनी के नाम राज्य अथवा केंद्रीय सरकार द्वारा दिया गया हो.
- किसी भी तरह का बिल जो कि कॉम्पनी के नाम पर हो इसका भी इस्तेमाल बैंक अकाउंट खुलवाने में किये जा सकता है.
भारत में एक निजी कंपनी को रजिस्टर्ड करने के लाभ ?
कंपनी को रजिस्टर्ड करने से कई लाभ मिलते हैं एक रजिस्टर्ड कंपनी इसे वास्तविक (reality) बनाती है और आपके व्यवसाय की ऑथेंटिसिटी को बढ़ाती है।
- व्यक्तिगत दायित्व से होने वाले और अन्य खतरो और नुकसान से बचाता है।
- अधिक ग्राहकों को Attract करता है
- आसानी से रिलाएबल निवेशकों (Investors) से बैंक क्रेडिट और अच्छा निवेश प्राप्त करता है।
- आपकी कंपनी की संपत्ति की सुरक्षा के लिए देयता संरक्षण प्रदान करता है
- ग्रेटर कैपिटल योगदान और अधिक स्थिरता
- बड़े होने और विस्तार करने की क्षमता को बढ़ाता है
- आपको ज़ीरो बैलेंस करंट अकाउंट भी मिलेगा जो DBS बैंक द्वारा संचालित किया जाता है
- शेयरधारकों को उसकी ओर से कार्य करने के लिए निदेशकों को नियुक्त करने का अधिकार है।
- एक एकल पोस्सेस्सिओं के विपरीत निदेशकों , शेयरधारकों की मृत्यु के बाद भी कंपनी किसी भी विसंगतियों (Anomalies) के बिना मौजूद रहेगी।
- शेयरधारकों और निदेशकों को व्यक्तिगत मुद्दों को छोड़कर बात करे
- तीसरे पक्ष द्वारा मुकदमा दायर करने से पूर्ण प्रतिरक्षा (Immunity) प्राप्त होगी।
- यह आयकर अधिनियम 1961 के तहत कम कर दरों (Tax rates) और सब्सिडी को Attract करता है।
- प्राइवेट सीमित कंपनी का लाभ लागू होने पर 30% + अधिभार (Surcharge) और उपकर की कर दर के अधीन है।
भारत में कंपनी रजिस्टर्ड करने के लिए चेकलिस्ट।
कंपनी अधिनियम 2013 के नियमों और विनियमों (Rules and regulations) के अनुसार भारत में पंजीकृत होने वाली किसी भी कंपनी को शामिल करते है तो इस के लिए नीचे की शर्तों को पूरा करना होगा।
दो निर्देशक | Two directors
एक निजी लिमिटेड कंपनी में कम से कम दो निदेशक होने चाहिए। और अधिक से अधिक व्यवसाय में निदेशकों के 15 हो सकते हैं कम से कम एक भारत का निवासी होना चाहिए।
अनूठा नाम | unique name
आपके व्यवसाय का नाम अद्वितीय (unique) होना चाहिए । सुझाया (Suggested) गया नाम भारत की किसी भी मौजूदा कंपनी या ट्रेडमार्क से मेल नहीं खाना चाहिए।
न्यूनतम पूंजी अंशदान
एक कंपनी के लिए कोई न्यूनतम पूंजी राशि नहीं है। एक कंपनी के पास कम से कम 1 लाख रु की अधिकृत पूंजी होनी चाहिए।
रजिस्टर्ड कार्यालय
किसी कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय में वाणिज्यिक (Commercial) स्थान होना आवश्यक नहीं है यहां तक कि किराए का घर भी रजिस्टर्ड कार्यालय हो सकता है जब तक कि मकान मालिक से एक NoC प्राप्त नहीं किया जाता है।
ज्ञापन एसोसिएशन (MOA)
मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MOA) के उद्देश्य खंड में एक वाक्यांश एकमात्र मालिकाना चिंता (Sole proprietorship concern) का अधिग्रहण मौजूद होना चाहिए।
वार्षिक रिटर्न
निजी लिमिटेड कंपनी को हर साल कंपनी के रजिस्ट्रार के साथ एक वार्षिक वित्तीय लेखा विवरण और वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए।
कंपनी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें ? – एक विस्तृत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ?
भारत में कंपनी पंजीकरण स्टार्टअप्स की प्रगति को बढ़ावा देगा और उन लोगों को अतिरिक्त बढ़त प्रदान करेगा जिन्होंने पंजीकरण नहीं कराया है कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय कानून के अनुसार बनाए गए है नियमों और विनियमों (Rules and regulations) के साथ कंपनी पंजीकरण प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
- सोल प्रोप्राइटरशिप को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को परिवर्तित करने से पहले की जाने वाली शर्तें
- एक नई निजी लिमिटेड कंपनी को शामिल करने के बाद पुराने एकमात्र स्वामित्व की सभी संपत्ति और देनदारियों को पूरी तरह से कंपनी में स्थानांतरित (Moved) कर दिया जाएगा।
- परिवर्तन होने के बाद भी पुरानी सोल प्रोप्राइटरशिप नई निजी सीमित कंपनी में 50% शेयर रखेगी। यानी मतदान का 50% अधिकार एकमात्र स्वामित्व के पास होगा।
- जो पुराना सोल प्रोप्राइटरशिप होता है एक नई निजी लिमिटेड कंपनी को शामिल करने की तारीख से 5 साल की न्यूनतम अवधि के लिए शेयर रखेगा।
- इसी तरह एक सोल प्रोप्राइटरशिप और निजी लिमिटेड कंपनी के बीच कोई मौद्रिक (Monetary) विचार नहीं होगा
क्योंकि यह केवल रूपांतरण (conversion) है बिक्री नहीं।
रजिस्ट्रेशन के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया
- चरण 1- DSC (डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र) के लिए आवेदन।
- चरण 2 – DIN (निदेशक पहचान संख्या) के लिए आवेदन करें
- चरण 3 – नाम की उपलब्धता के लिए आवेदन।
- चरण 4 – प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पंजीकृत करने के लिए EMOA और EAOA का फाइलिंग
- चरण 5 – कंपनी के पैन और टैन के लिए आवेदन करें
- चरण 6 – पैन और टैन के साथ आरओसी द्वारा निगमन का जारी प्रमाण पत्र
- चरण 7 – कंपनी के नाम पर एक चालू बैंक खाता खोलना
हम आपकी कंपनी को भारत में रजिस्टर्ड करने में कैसे मदद कर सकते हैं ?
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है इसलिए आपको अपनी इकाई को पंजीकृत करने के लिए अपना घर छोड़ने की भी आवश्यकता नहीं है। Vakilsearch में हम 14 दिनों के भीतर कंपनी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन पूरा करते हैं।
Vakilsearch कंपनी रजिस्ट्रेशन पैकेज में शामिल हैं –
- दो निदेशकों के लिए डीआईएन और डीएससी
- एमओए और एओए का मसौदा तैयार करना
- रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टांप शुल्क
- कंपनी निगमन (Incorporation) प्रमाणपत्र
- कंपनी पैन और टैन
- शून्य शेष चालू खाता – DBS बैंक द्वारा संचालित
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- Private Limited Company Kya Hai? और कंपनी कैसे रजिस्टर करें?
- LLP Kya Hai? Limited Liability Partnership Registration कैसे करे?
कंपनी के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज ।
भारत में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का पंजीकरण उचित पहचान प्रमाण और पते के प्रमाण के बिना नहीं प्राप्त किया जा सकता। सभी निदेशकों और कंपनी के शेयरधारकों को शामिल करने के लिए पहचान और पते के प्रमाण की आवश्यकता होगी। नीचे सूचीबद्ध दस्तावेज हैं जो एमसीए द्वारा ऑनलाइन कंपनी पंजीकरण प्रक्रिया के लिए स्वीकार्य होता हैं।
पहचान और पता प्रमाण ।
- पैन कार्ड या पासपोर्ट की स्कैन की गई कॉपी (विदेशी नागरिक और प्रवासी भारतीय)
- मतदाता पहचान पत्र ,पासपोर्ट , चालक लाइसेंस की स्कैन की गई प्रति (copy )
- नवीनतम (Latest) बैंक स्टेटमेंट , टेलीफोन या मोबाइल बिल , बिजली या गैस बिल की स्कैन की गई कॉपी।
- स्कैन किए गए पासपोर्ट आकार के फोटोग्राफ नमूना हस्ताक्षर (हस्ताक्षर के साथ रिक्त दस्तावेज़
विदेशी नागरिकों के लिए पासपोर्ट की एक apostilled या नोटरीकृत प्रतिलिपि अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जानी चाहिए। प्रस्तुत सभी दस्तावेज मान्य होने चाहिए। बैंक स्टेटमेंट या बिजली बिल जैसे निवास प्रमाण दस्तावेज 2 महीने से कम पुराने होने चाहिए।
रजिस्टर्ड कार्यालय प्रमाण ।
भारत में ऑनलाइन कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनी के पास भारत में एक रजिस्टर्ड कार्यालय होना चाहिए। रजिस्टर्ड कार्यालय में प्रवेश सर्टिफाइड करना होता है जिसमे बिजली बिल की हाल ही में प्रतिलिपि या संपत्ति कर रसीद या पानी का बिल जमा करना होगा। किराये के समझौते ,
उपयोगिता बिल या बिक्री विलेख (Document ) के साथ लगाना होता है और कंपनी के रजिस्टर्ड कार्यालय के रूप में कार्यालय का उपयोग करते है जिसके लिए उसकी सहमति के साथ मकान मालिक से एक पत्र शामिल किया जाना चाहिए।
- नवीनतम बैंक स्टेटमेंट, टेलीफोन या मोबाइल बिल , बिजली या गैस बिल की स्कैन की गई कॉपी
- अंग्रेजी में नोटरीकृत (notarized) किराये समझौते की स्कैन की गई प्रति
- संपत्ति के मालिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC ) की स्कैन की गई कॉपी
- अंग्रेजी में बिक्री विलेख (Deed) , संपत्ति विलेख की स्कैन की गई प्रतिलिपि (स्वामित्व वाली संपत्ति के मामले में)
प्रोप्राइटर शिप का लाभ ? | Proprietorship advantages
इस विकल्प के साथ अपने व्यापार को चलाने के लिए कोई भी आदमी इससे होने वाले लाभ को देखते हुए तैयार हो जाता है. इसके विशेष लाभ नीचे दिए जा रहे हैं.
- प्रोप्राइटर शिप किसी फॉर्मल कारपोरेशन की स्थापना से यह बहुत आसान और सस्ता है. कई राज्यों में इस पर डबल टैक्सेशन की छूट दी गयी है, जो किसी भी फॉर्मल कारपोरेशन पर सदैव लागू रहती है.
- इसके लिए सीधे सीधे मालिक का नाम अथवा व्यापार के अनुकूल एक काल्पनिक नाम भी रखा जा सकता है.
- इसके लिए प्रोप्राइटर को अलग से किसी व्यापार टैक्स रिपोर्ट की फाइल रखने अथवा बनाने की ज़रुरत नहीं होती. इसकी जगह प्रोप्राइटर अपने व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न में अपने व्यापार की सभी जानकारियां दे सकता है.
- इस तरह प्रोप्राइटर शिप के इस्तेमाल से टैक्स फिलिंग तथा उसके एकाउंटिंग पर पैसे खर्च करने से बच जाता है. सबसे ख़ास बात ये है कि इस पर मालिक के आय पर आयकर लगता है न कि कॉर्पोरेट टैक्स रेट.
- इसके तहत मालिक अपने नीचे कई लोगों को काम के लिए रख रहा है. इससे नौकरी की उन्नति के कई मार्ग खुल जाते हैं, और इसके लिए सरकार को कोई अतिरिक्त टैक्स भी नहीं देना पड़ता है.
- साथ ही मालिक के पति अथवा पत्नी भी बिना कंपनी का कर्मचारी नियुक्त काम में शामिल हो सकता है. यद्यपि सारी जिम्मेवारी एक व्यक्ति पर होगी किन्तु एक विवाहित जोड़ा भी प्रोप्राइटर शिप की सहायता से अपना व्यापार शुरू कर सकता है.
- इस व्यापार में सारा डिसिशन सिर्फ एक आदमी ही लेता है. अतः किसी भी तरह के निर्णय के लिए किसी पर आश्रित होने की जरुरत नहीं होती है. मालिक जिस तरह से चाहे अपना व्यापार अपने मन के मुताबिक चला सकता है.
प्रोप्राइटर शिप की कमियां (Proprietorship disadvantages)
किसी भी व्यापार में किसी न किसी तरह के रिस्क होने आम बात हैं. प्रोप्राइटर शिप में भी कुछ ऐसे जोखिम निहित है. नीचे इसकी कुछ कमियों पर चर्चा की जा रही है
- दायित्व : किसी भी तरह की हानि होने पर इसकी जिम्मेवारी सीधे मालिक के सर पर जाती है या कंपनी यदि घाटे में जाए तो इस घाटे को सिर्फ एक आदमी (मालिक) उठाता है. कम्पनी इस बीच यदि किसी तरह के लोन में जाती है तो इसका भुगतान सिर्फ और सिर्फ मालिक के खाते से होगा.
- टैक्स : इसमें टैक्स की सुविधा है, किन्तु इसमें मालिक को अपने जेब से सारे स्वरोजगार कर भरने होते हैं. साथ ही कुछ ऐसे टैक्स होते हैं जो किसी तरह के छूट के अंतर्गत नहीं आते मसलन सारे कर्मचारियों के हेल्थ इन्स्युरेंस के टैक्स.
- निरंतरता की कमी : यदि किसी तरह से मालिक बीमार पड़ जाता है या मालिक की मृत्यु हो जाती है तो कंपनी बंद हो जाती है. ऐसी परिस्थिति में व्यापार ‘लिक्वीडेट’ हो जाता है और सभी लाभार्थियों में बाँट दिया जाता है. ऐसा होने पर लाभार्थियों पर विरासत कर तथा इ- स्टेट कर लद जाता है.
- पूँजी उत्थान में परेशानी : शुरुआती समय में मालिक अपनी पूँजी लगा कर शुरू तो करता है, किन्तु कालांतर में पूंजी की जरुरत पड़ने पर मालिक दिक्कत में पड़ जाता है और कभी कभी पूंजी के अभाव में कंपनी बंद करने की नौबत आ जाती है. साथ ही प्रोप्राइटर शिप के अंडर स्टॉक या अन्य किसी तरह के व्यापर योजना में पैसा नहीं लगाया जा सकता.
FAQs proprietorship Kya Hai?
Q. प्रोप्राइटरशिप क्या हैं ?
A. प्रोप्राइटरशिप एक प्रकार का अनिगमित व्यवसाय (Unincorporated Business) है जिसके अंतर्गत व्यापार का स्वामित्व एवं इसे संचालित करने का अधिकार एक ही व्यक्ति के पास होता है। इसे प्रायः व्यैक्तिक उद्यम (Individual entrepreneurship), व्यक्तिगत व्यापारी (sole trader) या सिर्फ प्रोप्राइटरशिप (proprietorship) भी कहा जाता है।
Q. प्रोप्राइटरशिप किस प्रकार के व्यवसायियों हेतु उपयोगी है ?
A. प्रोप्राइटरशिप कम पूंजी से व्यवसाय शुरू करने वाले व्यापारियों हेतु उपयोगी है। पंजीकरण प्रक्रिया में आसानी होने के काऱण प्रोप्राइटरशिप व्यापार का सबसे सरल एवं आसान रूप है।
Q. प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया (Proprietorship Registration process) क्या है ?
A. प्रोप्राइटरशिप पंजीयन प्रक्रिया सम्बंधित जानकारी हेतु ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको Proprietorship Registration process सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है
Q.प्रोप्राइटरशिप के क्या लाभ है ?
A. प्रोप्राइटरशिप के माध्यम से व्यापार करने में आसानी, टैक्स रिटर्न में छूट एवं व्यवसाय को अपने ढंग से चलाने जैसी सुविधाएँ मिलती है।
Q. प्रोप्राइटरशिप की क्या हानियाँ है ?
A. प्रोप्राइटरशिप में घाटा एवं हानि की स्थिति होने पर व्यवसायी को इसका वहन स्वयं करना होता है साथ ही कई प्रकार के टैक्स भी इसके अंतर्गत शामिल नहीं किए गए है।
आज आप ने क्या सीखा
आप से उम्मीद करते है की आप को हमरे द्वारा बनाया गया ये पोस्ट Proprietorship क्या है? Proprietorship कैसे Registration करे ? आप सबको पसंद आया होग।आप proprietorship के बारे में जो भी जानकारी चाहिए थी। हमने आप को हमारे इस पोस्ट में वो साडी जानकारियाँ दी है आप को पोस्ट पसंद आया हो तो आप आपने दोस्तों को भी यर पोस्ट शेयर कर सकते हो। अगर आप को कुछ पूछना हो तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर्क हमसे आपने प्रश्न पूछ सकते हो।
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